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वायुप्रदूषण से प्रभावित होती है कर्मचारियों की निर्णय लेने की क्षमता और फर्क पड़ता है कम्पनी की तरक्की पर

जुआन पालासिओस जो अमरीका स्थित मिशिगन इंस्टिट्यूट ऑफ़ टेक्नोलॉजी के क्लाइमेट एंड रियल एस्टेट में निदेशक के पद पर कार्यरत हैं ने एक महत्वपूर्ण शोध किया है। जिससे यह पता चला है कि कार्यस्थल जैसे स्कूल दफ्तर इत्यादि में जो हवा की गुणवत्ता उपलब्ध रौशनी और वायुप्रदूषण का स्तर विद्यमान होता है उससे वहां काम करने वाले सभी लोगों के निर्णय लेने की क्षमता पर प्रभाव पड़ता है। जिसका असर कम्पनी की ग्रोथ और अर्जित किये जा सकने वाले लाभ पर निश्चित तौर से पड़ता है।

जुआन बताते हैं कि उन्होंने सभी तरह के कार्यस्थलों पर शोध किया है और उनके पास बड़े ही रोचक तथ्य हैं। जिनकी अनुपालना करके कार्यस्थलों पर अंदर के वातावरण को सुधार करके वहां कामकरने वाले लोगों की सोचने और निर्णय लेने की क्षमता में सुधार लाकर कम्पनी की ग्रोथ सुनिश्चित की जा सकती है।

जुआन पालासिओस बताते हैं कि शहरों में कम्पनियों में काम करने वाले कर्मचारियों के निर्णय लेने की क्षमता पर वायु प्रदूषण और पार्टिकुलेट मैटर के स्तर का क्या प्रभाव पड़ता है। इसीपर ही हमारा शोध आधारित था जब हमने पुराने शोध पढ़े तो पता चला कि खेतों में काम करने वाले कर्मचारियों के काम करने की क्षमता पर धूल और ओजोन के बढ़े हुए स्तर का बड़ा ही असर पड़ता है कर्मचारियों की क्षमता घट जाती है।

खेतों में कर्मचारियों के द्वारा किये गये काम को नापना आसान होता है लेकिन साफ़ सुथरे कॉर्पोरेट कार्यालय में काम करने वाले कमर्चारियों की कार्य दक्षता और निर्णय लेने की क्षमता को नापने की तरीके अलग होते हैं जैसे मार्केटिंग स्ट्रेटेजी का क्या असर दिखाई दिया जिससे कम्पनी की आत्मनिर्भरता को बढ़ाया जा सके।

हमने शतरंज के खिलाडियों के साथ भी शोध किया क्यूंकि उन्हें भी कम समय में अधिकतम फैंसले लेने होते हैं उन्हें भी कम्पनियों के प्रबंधकों की भाँति ही दूसरों से मुकाबला करते हुए उच्च दबाव में काम करना होता है। खुले खेतों प्रदूषण के द्वारा कार्यक्षमता को प्रभावित किये जाने और बंद कार्यालय में किये जाने वाले इस तरह के अध्ययन में बहुत अंतर था।

हमने शतरंज के खिलाडियों के साथ किये जाने वाले प्रयोग के दौरान खिडकियों दरवाजों गलियारों पर हमने सेंसोर्स लगाये और बाहर की हवा का अंदर के वातावरण से कोई सम्पर्क ना हो इसका हमने बहुत ध्यान रखा।

ऐसे कंट्रोल्ड वातावरण में खेलने वाले खिलाडियों के एक एक मूव पर वैज्ञानिकों की नज़र थी और यह लगातार मोनिटर किया जा रहा था कि खिलाड़ी किस तरह से फैंसले ले रहे हैं। इस तरह के लगभग सत्तर हज़ार मूव्स का अध्यन एक कंप्यूटर प्रोग्राम के माध्यम से किया गया इन अध्यनों मुख्य आधार कमरे की हवा की गुणवत्ता था उसी के आधार पर पूरे डाटा का एनालिसिस किया गया।

वायु गुणवत्ता सूचकांक और वायु के बहने की दिशा का भी इस अध्यन में ध्यान रखा गया हमने यह देखा और पाया कि जब पार्टीकुलेट मैंटर PM2.5 का स्तर कमरे की हवा में बढ़ता है तो खिलाड़ी गलत फैंसले लेने लगते हैं और यह गलतियाँ बढ़ती चली जाती हैं।

चूंकि शतरंज के खेल में निश्चित समय अपनी स्ट्रेटेजी को बार बार कैलकुलेट करना होता है और त्वरित फैंसले लेकर आगे बढना होता है तो एक गलती भी खिलाड़ी के लिए बहुत खतरनाक साबित होती है।

अब यदि हम समाधान की बात करें तो मल्टिपल एयर फिल्टर्स और आधुनिक वेंटिलेशन सिस्टम्स हमारे सामने हैं। जिनमें अब कम्पनियों को इन्वेस्ट करना चाहिए ताकि कार्यालय के अंदर वायुगुणवत्ता को सुधारा जा सके जिस दिन कोई बड़ा फैंसला कम्पनी के द्वारा लिया जाना है। उसदिन वायुगुणवत्ता के स्तर का भी ध्यान रखा जाना महत्वपूर्ण है।

हमने यह पाया है कि कोई व्यक्ति भी वायु प्रदूषण से बच नहीं सकता है यह सभी को प्रभावित करता है। इससे बचने के लिए सभी को संगठित रूप से प्रयास करने पड़ेंगे और कार्यस्थल पर हवा की गुणवता के स्तर को ठीक रखने के लिए प्रबंधन को ऐसे भवनों का निर्माण करवाना पड़ेगा जहाँ वायु गुणवता को ठीक रखा जा सके तभी हम उच्च कार्यदक्षता के लक्ष्य को प्राप्त कर सकेंगे।

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