प्राकृतिक कीटनाशी- बुच्ची संभिरकायेँ

बीस तरह की मकड़ियों व् पाँच तरह के रोगाणुओं के अलावा कीट साक्षरता केंद्र, निडाना के किसान अभी तक निडाना के कीट परितंत्र में 123 किस्म के मांसाहारी कीट देख चुके हैं। इनमें 92 किस्म के परभक्षी, 29 किस्म के परजीव्याभ व 2 किस्म के परजीवी कीट शामिल हैं। परजीव्याभों में 21 किस्म के परपेटिये, 3 किस्म के परप्युपीये व 5 किस्म के परअंडिये पाये गये हैं।

यहाँ के किसान इन बुच्ची संभीरकाओं की गिनती परप्यूपिये कीटों में करते हैं। क्योंकि ये कीट अपने बच्चे दुसरे कीटों के प्यूपों में पलवाते हैं। वैसे तो निडाना के खेत-खलियानों में दर्जनों किस्म की बुच्ची सम्भिरकाएं मौजूद होंगी। पर किसानों ने तो अभी तक दो ही तरह की पकड़ी हैं- एक ब्राची व दूसरी कालसी। ब्राची कों इन्होंने तम्बाकुआ सुंडी के प्यूपा से निकलते देखा है व कालसी को साईं मक्खी के प्यूपा से।

ये सम्भिरका आकार में काफी छोटी होती हैं। औसतन 3 से 6 मिलीमीटर। शायद इसीलिए इनकी तरफ ज्यादा ध्यान नहीं गया और ना ही इनके कार्य पर। अन्यथा तो प्राकृतिक तौर पर कीट नियंत्रण में इन सम्भिरकाओं की भी खासी महती भूमिका है। ये संभिरका छोटी बेशक हों पर इनका बदन बलिष्ट एवं गठीला होता है। मुठिया एंटीने व अत्याधिक मोटी जांघे इनकी पहचान है।