प्राकृतिक कीटनाशी – बिन्दुआ बुग्ड़ा

बिन्दुआ बुग्ड़ा एक मांसाहारी कीट है जो अपना गुजर-बसर दुसरे कीटों का खून चूस कर करता है। कांग्रेस घास पर यह कीट दुसरे कीटों की तलाश में ही आया है। कांग्रेस घास के पौधों पर इसे मिलीबग, मिल्क-वीड बग़ व जाय्गोग्राम्मा बीटल आदि शाकाहारी कीट व इनके शिशु व अंडे मिल सकते है। इस घास पर इन्हें खून पीने के लिए इन शाकाहारी कीटों के अलावा कीटाहारी कीट भी मिल सकते है।

इन सभी मध्यम आकार के कीटों का खून चूस कर ही बिन्दुआ बुग्ड़ा व इसके बच्चों का कांग्रेस घास पर गुज़ारा हो पाता है। स्टिंक बग़ की श्रेणी में शामिल इस बिन्दुआ बुगडा को अंग्रेज “two spotted bug” कहते हैं। कीट वैज्ञानिक इसे द्विपदी प्रणाली के मुताबिक “Perillus bioculatus” कहते हैं। इस बुग्ड़े के परिवार का नाम “Pentatomidae” है तथा वंश-क्रम “Hemiptera” है |

इन बिन्दुआ बुग्ड़ों का शरीर चौड़ा व शिल्ड्नुमा होता है । इनकी पीठ पर ध्यान से देखे तो अंग्रेजी का वाई अक्षर भी नज़र आ जाता है | इनके प्रौढ़ों के शरीर की लम्बाई 10 से 12 मिमी तक होती है। इनके निम्फ 8 से 9 मिमी लंबे होते है | निम्फों के शरीर का रंग पीला-पीला या लालिया संतरी होता है |

इस बुग्ड़े की प्रौढ़ मादा मधुर मिलन के बाद प्राय: दो दर्जन अंडें पत्तियों के उपरली सतह या टहनियों पर देते हैं | इन अण्डों को वे दो पंक्तियों में एक-दुसरे से सटा कर रखते हैं | इन अण्डों से छ: – सात दिन में निम्फ निकलते है | अंडे से प्रौढ़ विकसित होने में तक़रीबन 25 -30 दिन का समय लगता है